Friday 2 December 2011

माँ मुझे आना है


  नन्ही सी कली थी 
पूरा  न खिली थी 
माँ के uder  में सोई थी 
नई जिंदगी के सपनों में खोई थी
अचानक एक औजार आया 
सपनों के जाल से उसे जगाया 
 वो उठी और बोली
देख नही रहे में 
माँ के गर्भ में सुरक्षित हू
ममता की छाव में आरक्षित हू
बोला वह औजार कड़ककर
चुप बनी वह सहम कर
भेजा है मुझे तेरी माँ ने और तेरे पिता की हा ने 
और आर्त होकर  वो बोल पड़ी
माँ पिता ने ही तो मुझे बुलाया 
फिर क्यों मुझे ठुकराया ,
ओ माँ मेरी सुन मुझे इस दुनिया में आना है 
ममता तेरी प्यार पिता का पाना ह.........
हर दुःख हर सितम सह लूगी,अपमान का घुट भी पि लूगी
दुःख सुख तेरा बातुगी
एक गलास दूध में पूरा दिन  काटुगी
नही करुगी बराबरी भेया की
ager न चाहेगे बाबा,
पर ओ मोरी मैया
 सुन मुझे इस दुनिया में आना है 
ममता तेरी प्यार पिता का पाना ह.........
वह रोई और सिसक सिसक कर बोली
 पर रोक न पाया  करुण रुदन  उस निर्मम औजार को....
काटने लगा टुकडो में उस  नन्ही  जन को
फेले तोड़ी कमर फिर ,फिर आइ हाथ पेर की बारी
सिमट रही थी तदप रही थी  वह दर्द की मारी
सिसकते रोते और अपने अस्तित्व को मागते उस कन्या  ने भी जान गवाई..............
 उस कन्या  ने भी जान गवाई..............
 कब तक इसे होगा???//